Sunday, 23 August 2015



जहां लिखा हो सत्यमेव जयते ,
उसके साथ जरूर लिखें श्रमेव जयते ।
दुनिया मे विकास की क्रान्ति का,
सूत्र धार मजदूर ,,
सुख-सुविधाओं से आज भी ,
वो है कोसो दूर 
ये कैसी विडम्बना है देखो श्रमिक
करता बडी-बडी गाडियों का निर्माण ,
लेकिन बैठ नही सकता उनमें
इसके हैं लाखों प्रमाण 
मजदूर की दुर्दशा देखो सडको-साइटों पर
झुग्गी –पाइपों में है उनका बसेरा ,
लेकिन हमारे लिये भवन-सडक बनाकर
लाता है जीवन मे खुशियों का सवेरा ।
          क्या राजधानी क्या शताब्दि
                       या हो हवाई जहाज ,
           अपनी मेहनत के बल पर
                     बैठ नही सकता उनमें वह आज ।
मिस्त्री, मोची ,नाई, दर्जी और धोबी
बनाते हैं सूट टाई वालो को महान ,
क्या मानवता के लिये
हम सब भी दें मजदूरो को सम्मान ।                

लोकेश चौहान

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