जहां
लिखा हो सत्यमेव जयते ,
उसके
साथ जरूर लिखें श्रमेव जयते ।
दुनिया मे विकास की क्रान्ति का,
सूत्र धार मजदूर ,,
सुख-सुविधाओं से आज भी ,
वो है कोसो दूर
ये कैसी विडम्बना है देखो श्रमिक
करता बडी-बडी गाडियों का निर्माण
,
लेकिन बैठ नही सकता उनमें
इसके हैं लाखों प्रमाण ।
मजदूर की दुर्दशा देखो सडको-साइटों
पर
झुग्गी –पाइपों में है उनका बसेरा
,
लेकिन हमारे लिये भवन-सडक बनाकर
लाता है जीवन मे खुशियों का सवेरा
।
क्या राजधानी क्या शताब्दि
या हो हवाई जहाज ,
अपनी मेहनत के बल पर
बैठ नही सकता उनमें वह आज ।
मिस्त्री, मोची ,नाई, दर्जी और धोबी
बनाते हैं सूट टाई वालो को महान ,
क्या मानवता के लिये
हम सब भी दें मजदूरो को सम्मान ।
लोकेश चौहान
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