Sunday, 12 June 2011

Kala divas


काला दिवस
The Night of
4-6-2011


आज देश का क्या हाल हो गया
नेता बन गये व्याभिचारी ,
शान्तिपुर्ण अनशन पर बैठे
पीटे गये अहिन्सक सदाचारी ।

रात एक बजे हमला करवाकर
उडाई लोकतन्त्र की खिल्ली ,
सन्तों के इस देश में
जगह थी वह राजधानी दिल्ली ।

मनमोहन जी की सरकार को
करता कन्ट्रोल रिमोट ,
नादिरशाही फ़रमान जारी कराकर
पहुँचाई लोकतंत्र पर गहरी चोट ।


सरकार की इस कार्यवाही पर
खुश होंगे भ्रष्टाचारी,
पूरा देश देखता रह गया
मनमोहन सिंह जी की लाचारी ।




भ्रष्टाचार से लिप्त हैं
क्या राजा, कलमाडी या कनिमोडी,
सबने जनता का धन लूटकर
महंगाई से जनता की कमर तोडी ।

सुभाष, चन्द्रशेखर भगत सिंह जैसे वीर
हो गए इस धरती पर कुर्बान,
सच्चाई और आजादी के लिए
इस देश को दे दी तोहफे मे जान ।

महात्मा गांधी ने देश के लिए
माँगी थी क्या ऐसी आजादी ?
नेता और प्रशासक बनेगें भ्रष्ट
करेगें ऐसी धन की बर्बादी ।

इस देश को क्या हो गया
क्यों करते कुर्सी पर नाज,
यह वही राम का देश है ?
जहाँ सत्ता पर कर गए खडाऊ, राज

Monday, 6 June 2011

Worldcup 2011

 विश्व-कप

टीम  इंडिया ने किया कमाल
वानखेड़े में हुआ धमाल
वर्षों की प्रतीक्षा समाप्त कर
देश प्रेम की बनी मिसाल

देश के लिए कप जीत कर
किया सचिन का सपना साकार
पूरे देश के लोगों ने मिल कर
किया धोनी का व्यक्त आभार

जब गौतम की शर्ट पर
लगी देश की मिट्टी
संगकारा और लंका  की
 गुम हो गयी सिट्टी-पिट्टी


जब युवराज  और धोनी के छक्कों  ने
छुडाए विरोधियों के छक्के
देखकर पोंटिंग  और अफरीदी
 रह गये हक्के बक्के



टीम इंडिया के सामने
थरंगा हो या मलिंगा
हमने सबको धूल चटाकर
ऊँचा किया तिरंगा

ज़हीर,मुनाफ और भज्जी ने
जब ढाया बोलिंग का कहर
तब हिंदुस्तान में वाह-वाह
बोल उठा हर गाँव-शहर

प्रत्येक खिलाडी टीम का था
सचिन के लिए समर्पित
अपनी मेहनत और कौशल से
कर दिया विश्व-कप देश को अर्पित

Maa


माँ
भगवान स्वयं नही आए
माँ को भेज दिया
हमारे लिए माँ ने दुनिया का
  हर दुख-दर्द झेल लिया

माँ ने दी हमें इतनी खुशी
अपनी नींद अपना सारा जीवन
कर दिया हम पर अर्पण
चाहे स्वयं रही हो दुःखी

हमें जीवन में दुख का अहसास न होने दिया
अपना सब कुछ हम पर न्यौछावर कर दिया
माँ ,माँ नही दिल है दिमाग है
दुनिया में समर्पण बलिदान और त्याग है

माँ ,माता महतारी जननी
हमारा मान है
माँ कि सेवा करना ही
हमारा सम्मान है

माँ की महत्ता क्या है?
यह हम हिन्दुस्तानी जानते हैं
अतुल्य ईशवर की अदभुद रचना है
यह भली-भांति पहचानते हैं


Beti


 बेटी

आँखो मे एक सपना था
जो प्रतीक्षा के बाद हुआ साकार
इस जीवन की कठिन चुनौती
वो दिन था शुक्रवार

माँ कब से सोचती थी
मेरी बेटी कब सम्मान बढाएगी
दुनिया की आँखो मे वह
कब चमत्कार दिखाएगी

जवाहर लाल का नाम
रोशन करती उसकी बेटी इकलौती
अब सम्मान बढाने वाली
'बाबा' की है पोती

मेरी बेटी आगे बढती जाओ
होकर सफल निरन्तर
भेद भाव न हो जीवन मे
ना हो ऊँच नीच का अन्तर

बेटी की प्रथम नियुक्ति पर
आँखो मे अश्रु भर आये
यह खुशी जैसे वृक्ष फलो से आच्छादित होकर
मन मे प्रसन्नता भर ला

मेरे लिए अदभुत् था वह पल
जब आया फोन तुम्हारा
नियुक्ती पत्र की बात सुनकर
मन गौरवान्वित  हुआ, सुन्दर लगा जग सारा