Monday, 6 June 2011

Maa


माँ
भगवान स्वयं नही आए
माँ को भेज दिया
हमारे लिए माँ ने दुनिया का
  हर दुख-दर्द झेल लिया

माँ ने दी हमें इतनी खुशी
अपनी नींद अपना सारा जीवन
कर दिया हम पर अर्पण
चाहे स्वयं रही हो दुःखी

हमें जीवन में दुख का अहसास न होने दिया
अपना सब कुछ हम पर न्यौछावर कर दिया
माँ ,माँ नही दिल है दिमाग है
दुनिया में समर्पण बलिदान और त्याग है

माँ ,माता महतारी जननी
हमारा मान है
माँ कि सेवा करना ही
हमारा सम्मान है

माँ की महत्ता क्या है?
यह हम हिन्दुस्तानी जानते हैं
अतुल्य ईशवर की अदभुद रचना है
यह भली-भांति पहचानते हैं


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