उलझते
सम्बन्ध- टुटते रिस्ते
बहु-सास के खेल में
मां – बेटी की हो रही जीत ,
इन रिस्तों के प्रकरण में
फंसा हुआ नादान अजित (पति)
मां सपने दिखलाती बेटी को
तुझे ऐसा वर दिलवाउंगी ,
वर भरेगा पानी तेरा
ऐसी घुट्टी
पिलवाऊंगी ।
संस्कारों की कमी है मुझमें
मै तुम्हें नही दे पाउंगी ,
पापा को गिरवी रखवाकर
तुम्हें स्विफ्ट कार दिलवाउंगी ।
सास –ससुर तेरे रहे पास न
मै ऐसी तरकीब लगाउंगी ,
दुरभाष (मोबाइल) से रोज समझाकर
उन मां बेटे को लड्वाउंगी ।
रिस्ता तेरा ऐसा ढुंडुगी
जहां पति अकेला हो ,
पूरा वेतन हाथ पर रख दे
जाते ही तू महारानी हो ।
इस कलयुगी मां को क्या हो गया,जो देती बेटी को
ऐसी सीख ,
सोचो लोकेश ,जब यह सास बनेगी ,माँगेगी बहु से रोटी
की भीख
लोकेश चौहान ।
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