Wednesday, 28 September 2011

Dard Rishton Ka


पन्छी जब आता है लौटकर , लम्बी उडान से ,,
डालियां आज भी सिर झुका लेती है सम्मान से ।

       दर्द रिश्तों का
नवरात्र का त्योहार है आया,
अन्तर्मन मे यादों का गुब्बार लाया ।
नवरात्र के लिये हुई जौ बोने की तैयारी ,,
बच्चे-बडे लाते हैं, पत्ते मिट्टी न्यारी-न्यारी।

      वो गायों का सुबह-शाम रम्भाना
      दूध के लिये अपने प्रेमीजनों को बुलाना।
      गायें जाती जंगल चरने, बछ्डे-बछ्डी करते इन्तजार
      शाम को माँ आयेंगी जरुर ऐसा उनको ऐतबार्।

नयी फ़सल के लिये बैलों से किसान जोतते खेत,
अच्छी से अच्छी तैयारी करते एक से बढ्कर एक्।

आज याद आती खेतों में चलते भोला,
हीरा-मोती के गले की घंटी की आवाज,
ऐसा लगता कर्ण-पटल पर जैसे
स्वर्ग में बज रहा है कोई मधुर साज्।

वो हल चलाते हुए किसान का हुं,आ,हट करना,
उसके बैलों का सुनना और उन हा, अ, हट पर डरना्।
किसान जुडा रहता बैलों से,जैसे हो उसकी सन्तान,
 बैल भी समर्पित स्वामी पर, खडे रहते थे उनके कान।

गेंहु की बुआई में सभी जन-बच्चों का खेत में जाना;
याद आते हैं अब वो दिन जब खेत में खाते थे खाना। 
 
ऐसा लगता है उन दिनों में, हम थे रिस्तों से इन्सान
समय बिता दिन बीते हो गया भाई के लिये भाई मेहमान्।

माया ने बनाई यह दूरी, खेल के अपनी चाल’
रिस्ते- नाते बिखर रहे हैं चारों तरफ है माया जाल।
माया के चक्कर में हम, फ़ंस गये ऐसे आज
बेटा बाप से पुछ रहा है कंहा है हिसाब-किताब।

लालची ऐसे बन गये हम, खिंची ऐसी चारों ओर लकीर
पत्नी और बच्चों के चक्कर में, जीवन बना फ़कीर्।
क्या पत्नी-बच्चों के अलावा नही कोई रिस्ता-नाता
चाहते हुऐ भी इन्सान बहन-भाई,माँ-बाप के लिए कुछ नही कर पाता।

जागो मेरे प्यारों जागो, अपनो से
करो न अब कोइ विवाद
प्यार-प्रेम को बढाकर जग में
लो शुभकामना और आशीर्वाद्।
                   लोकेश कुमार चौहान
                          पंजनहेड़ी ।

Sunday, 21 August 2011

anna ki jung


                  
                                अन्ना की जंग

रामलीला मैदान मे इतिहास का
बनेगा, भ्रष्टाचार  मिटाने वाला पन्ना,
आज हर देशवासी जाग उठा है
हर तरफ हैं केज्रीवाल और अन्ना ।

एक नही दो चार नही
हैं इस अभियान मे करोडों ,
अब सभी का मकसद एक
भ्रष्टाचार  की कमर तोडो ।

अब हम सबके आगे हैं अन्ना
हमें किस बात का डर,
भ्रष्टाचार से कैसे निपटना
है सरकार पर निर्भर।

यह भारत भूमि है
बलिदानों का इतिहास,
जन लोकपाल बिल पास कराएगें
है अन्ना के साथ ।

आज आम आदमी हैं
सरकारी तन्त्र से त्रस्त,
यहाँ जगह-जगह पर बैठे हैं
नेता और अधिकारी, भ्रष्ट ।

अन्ना,केजरीवाल ने मिलकर
यह आवाज उठाई है ,
भ्रष्टाचार मिटाना है साथ में
हिन्दु,मुस्लिम,सिक्ख,ईसाई हैं ।

भ्रष्ट तन्त्र के खिलाफ़
बादल बनकर गरजे अन्ना घनघोर ,
अब नही रहेगा इस देश में
कोई बेईमान और सरकारी चोर ।

प्रधान्मन्त्री सोये हैं
तिजोरी लूट रहे रखवाले,
हम चुनाव जीत कर आये हैं
अब हम नही किसी से डरने वाले ।

मनमोहन जी जाग जाओ
क्यों कुरसी के नशे में मदहोश,
यह अन्ना का आन्दोलन है
अब जाग उठा जनाक्रोश ।

सच्चा भारत-वासी वही है
आज जिसका खून खौल उठा,
भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ
अन्ना का बिगुल बोल उठा ।

सुनो आवाज इस बिगुल की
आज तुम्हें जो जगा रहा है,
सब मिलकर आवाज उठाओ
अन्ना तुम्हें बुला रहा है ।

भ्रष्टाचार के विरोध में
आज इन्कलाबी शुरुर है,
साथ में सच्चे अधिकारी
और युवाशक्ति, किसान –मजदूर है ।

हम नही भुले ,वो बलिदानी जीवन
जिसमें भगत,सुभाष,चन्द्र्शेखरआजाद,
बहुत हो चुका, अब नही होगा
हिन्दुस्तान और बरबाद ।

लोकेश कुमार
एस के एच

Saturday, 30 July 2011

ईमानदार सरदार(leader)


                    ईमानदार  -  सरदार (LEADER)

मुम्बई आतन्की हमलों का
हमारे पास है केवल ब्यान ,
    जनता को कैसे मुर्ख बनाना
    इसी बात पर है पुरा ध्यान ।

                  अन्ना चाहते लोकपाल-बिल
                  जनता की पसन्द का पास कराना ,
                  हमने रामदेव का क्या हाल किया
                  यह उन्होनें अभी नही पहचाना ।

आज बाबा के चेलों के
दिखते सारे फ़र्जी-दस्तावेज,
तीन-तीन मन्त्रियों ने स्वागत किया
किया न कोई  गुर्रेज-प्रहेज ।
                  
जनता को कितना मुर्ख बनाओगे
यह सब नजारा देख रही,
मौका मिलते ही देगी जवाब
जो अन्याय अभी झेल रही ।

जवाब ऐसा देगी जनता
कुर्सी का घमन्ड हो जायेगा चूर,
जितना नशा चढा सत्ता का
क्षण भर में होगा काफुर ।
आज सरकार के प्रवक्ता कहते हैं
हम चुनाव जीतकर आये हैं ,
रामदेव-अन्ना करें अनशन
हमनें भ्रष्टाचारी साथी बनाये हैं।


सारे सरकारी चोरों के हैं
मनमोहन - सरदार (LEADER),
इनके खिलाफ बोलोगे तो
हो जाओगे गिरफ़्तार ,

क्योंकि,
       ये हैं देश के भोले-भाले ,
       प्रधानमन्त्री, सबसे ईमानदार ।

                         लोकेश चौहान

Sunday, 12 June 2011

Kala divas


काला दिवस
The Night of
4-6-2011


आज देश का क्या हाल हो गया
नेता बन गये व्याभिचारी ,
शान्तिपुर्ण अनशन पर बैठे
पीटे गये अहिन्सक सदाचारी ।

रात एक बजे हमला करवाकर
उडाई लोकतन्त्र की खिल्ली ,
सन्तों के इस देश में
जगह थी वह राजधानी दिल्ली ।

मनमोहन जी की सरकार को
करता कन्ट्रोल रिमोट ,
नादिरशाही फ़रमान जारी कराकर
पहुँचाई लोकतंत्र पर गहरी चोट ।


सरकार की इस कार्यवाही पर
खुश होंगे भ्रष्टाचारी,
पूरा देश देखता रह गया
मनमोहन सिंह जी की लाचारी ।




भ्रष्टाचार से लिप्त हैं
क्या राजा, कलमाडी या कनिमोडी,
सबने जनता का धन लूटकर
महंगाई से जनता की कमर तोडी ।

सुभाष, चन्द्रशेखर भगत सिंह जैसे वीर
हो गए इस धरती पर कुर्बान,
सच्चाई और आजादी के लिए
इस देश को दे दी तोहफे मे जान ।

महात्मा गांधी ने देश के लिए
माँगी थी क्या ऐसी आजादी ?
नेता और प्रशासक बनेगें भ्रष्ट
करेगें ऐसी धन की बर्बादी ।

इस देश को क्या हो गया
क्यों करते कुर्सी पर नाज,
यह वही राम का देश है ?
जहाँ सत्ता पर कर गए खडाऊ, राज

Monday, 6 June 2011

Worldcup 2011

 विश्व-कप

टीम  इंडिया ने किया कमाल
वानखेड़े में हुआ धमाल
वर्षों की प्रतीक्षा समाप्त कर
देश प्रेम की बनी मिसाल

देश के लिए कप जीत कर
किया सचिन का सपना साकार
पूरे देश के लोगों ने मिल कर
किया धोनी का व्यक्त आभार

जब गौतम की शर्ट पर
लगी देश की मिट्टी
संगकारा और लंका  की
 गुम हो गयी सिट्टी-पिट्टी


जब युवराज  और धोनी के छक्कों  ने
छुडाए विरोधियों के छक्के
देखकर पोंटिंग  और अफरीदी
 रह गये हक्के बक्के



टीम इंडिया के सामने
थरंगा हो या मलिंगा
हमने सबको धूल चटाकर
ऊँचा किया तिरंगा

ज़हीर,मुनाफ और भज्जी ने
जब ढाया बोलिंग का कहर
तब हिंदुस्तान में वाह-वाह
बोल उठा हर गाँव-शहर

प्रत्येक खिलाडी टीम का था
सचिन के लिए समर्पित
अपनी मेहनत और कौशल से
कर दिया विश्व-कप देश को अर्पित

Maa


माँ
भगवान स्वयं नही आए
माँ को भेज दिया
हमारे लिए माँ ने दुनिया का
  हर दुख-दर्द झेल लिया

माँ ने दी हमें इतनी खुशी
अपनी नींद अपना सारा जीवन
कर दिया हम पर अर्पण
चाहे स्वयं रही हो दुःखी

हमें जीवन में दुख का अहसास न होने दिया
अपना सब कुछ हम पर न्यौछावर कर दिया
माँ ,माँ नही दिल है दिमाग है
दुनिया में समर्पण बलिदान और त्याग है

माँ ,माता महतारी जननी
हमारा मान है
माँ कि सेवा करना ही
हमारा सम्मान है

माँ की महत्ता क्या है?
यह हम हिन्दुस्तानी जानते हैं
अतुल्य ईशवर की अदभुद रचना है
यह भली-भांति पहचानते हैं


Beti


 बेटी

आँखो मे एक सपना था
जो प्रतीक्षा के बाद हुआ साकार
इस जीवन की कठिन चुनौती
वो दिन था शुक्रवार

माँ कब से सोचती थी
मेरी बेटी कब सम्मान बढाएगी
दुनिया की आँखो मे वह
कब चमत्कार दिखाएगी

जवाहर लाल का नाम
रोशन करती उसकी बेटी इकलौती
अब सम्मान बढाने वाली
'बाबा' की है पोती

मेरी बेटी आगे बढती जाओ
होकर सफल निरन्तर
भेद भाव न हो जीवन मे
ना हो ऊँच नीच का अन्तर

बेटी की प्रथम नियुक्ति पर
आँखो मे अश्रु भर आये
यह खुशी जैसे वृक्ष फलो से आच्छादित होकर
मन मे प्रसन्नता भर ला

मेरे लिए अदभुत् था वह पल
जब आया फोन तुम्हारा
नियुक्ती पत्र की बात सुनकर
मन गौरवान्वित  हुआ, सुन्दर लगा जग सारा