दिल की आवाज
देखो न
हमें प्यारो ,
ऐसे विश्वासघात से
।
सीना हमारा
भी छलनी है ,,
गद्दारों के
आघात से ॥
बुजदिल ,मक्कार
हैं वो ,
जिनका
ईमान नही है ।
धोखा
देते हैं वो लोग
,,
जो
‘’ इन्सान’’ नही है ॥
ऐसे न
पहुँचाओ भाईयो ,
हमारी आत्मा
पर चोट ।
जान दे
देंगे आजमाओ कभी ,,
क्या चीज
है वोट ॥
हार का दर्द
छुपा है ,
हमारे
भी दिल के कोने
में ।
क्या
रक्खा है साथियों ,,
नफरत
के बीज बोने में ॥
होते त्रेतायुग
के हनुमान तो ,
दिखा
देते अपना सीना चीरकर
।
नाम लिखा
है तुम्हारा ,,
अपने दिल
की ताबीर पर ॥
कितने
भी आरोप लगा लो
,
हम
दरबान तेरे महल के
।
जब
तक जियेंगे रहेंगे ‘’वफ़ादार
‘’
तेरे
,और तेरे शहर के ॥
लोकेश चौहान
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